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वैदिक ज्योतिष - १ - हिंदी
गुरूजी डॉ. प्रेमजी निर्मल / गुरुमा भारती निर्मल
* कर्म और कर्मफल, भाग्य जाने और कैसे बदल सकते है ?
* १२ भाव, नवग्रह -१२ राशियाँ और उनका परस्पर सम्बन्ध
* २७ नक्षत्र, उनके स्वामी और उनके गुण
* कुंडली कैसे बनाएँ और कुंडली का विवरण
"चित्रगुप्त की किताब"
जीवन में हम चाहते कुछ है और होता कुछ और ही है। मेहनत तो बहुत कर रहे है मगर पैसा उतना आ नहीं रहा है... आया तो भी टिकता नहीं... रिश्तों में मधुरता नहीं महसूस हो रही। क्या कर्मों के हिसाब से ही ज़िंदगी चलती है या भाग्य, नियति में क्या है, यह जाना जा सकता है ?
इन सभी सवालों के जवाब अगर आप खोज रहे हो, तो समझ लीजिये कि आप यहाँ सही जगह आ गए हो... "चित्रगुप्त की किताब" में आप अपने जीवन के इन सारे रहस्यों को जान पाएंगे !
कहते है की चित्रगुप्त अपने सारे जन्मो-जनम के कर्मों का लेखा-जोखा रखते है. क्या यह चित्रगुप्त कोई व्यक्ति है? या हमारे ही चेतना की यह एक अवस्था है?
जी हाँ ! यह है गुप्त चित्र अपने ही स्मृतियों का जिसे चिदाकाश स्मृति कहते है। अपने जीवन में जो भी घटित होते रहता है, उन सारे अनुभवों की स्मृतियों का अपने ही मस्तिष्क में रेखांकन होते रहता है। उन चिदाकाश स्मृतियों को क्या पढ़ा जा सकता है?... हाँ, जरूर पढ़ सकते है, जान सकते है ... और वह जानकर भाग्य बदल भी सकते है।
यह सीखने का प्रथम प्रवेश वैदिक ज्योतिष द्वारा होता है। यही सीखने के प्रवेशिका सत्र में आप का हार्दिक स्वागत है।
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